कांग्रेस पार्टी जो अपने आप को सेकुलर पार्टी बताती है, वो सही मायने में धर्मवादी और जातीयवादी पार्टी है. यह साबित करने के लिए विरोधियो के भाषणों की सहायता लेने की जरुरत भी नहीं है. राजकीय विश्लेषको का हमेशा से ही मानना है की कांग्रेस जो सेकुलर के नाम से राजकारण ( सत्ताकरण ) करती आये है, असल में सेकुलर की चादर ओढ़ कर धर्मवादी राजकारण कर रही है. जो सही मेमे में देश की एकात्मता के लिए घटक है.
उत्तर प्रदेश में चल रहे चुनावो में कांग्रेस के सलमान खुर्शीद जी ने पहले आरक्षण का तीर चलाया फिर और अब मुस्लिम वोटो के लिए बाटला हाउस एन्कोउन्टर का मुद्दा उठाकर हस्यास्पद विधान किये
और फिर मुकर भी गए. कानून मंत्री सलमान खुर्शीदजी ने सभा में कहा की बाटला हाउस एन्कोउन्टर की तस्वीरे जब सोनियाजी को दिखाई तो वो फुट बड़ी और कहा ये तस्वीरे मुझे मत दिखाना वजिरआजम (प्रधानमंत्री) से बात करो. ये बयांन दिने के बाद कई कांग्रेससियो ने कहा सोनिया गाँधी तस्वीर देख के नहीं रोई.
खुद कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा की " सोनिया गाँधी तो नहीं रोई". खैर सोनियाजी के रोने या हसने से देश का भला तो होना है नहीं. यहाँ लाख टके का सवाल तो यह है जिस बाटला हाउस एन्कोउन्टर में आंतकियो से मुद्मेद करते हुए शहीद हुए पुलीस अफसरों को अशोक चक्र से नवाजा गया, उसी पर कांग्रेस ठीक चुनाव के दिनों में सियासत कर रही है. क्यों? सिर्फ चंद मुस्लिम वोटो के लिए येह आसुवो को भी चुनावी बाजार में घसीटा जा रहा है.
जिस बाटला हाउस एन्कोउन्टर पर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और सलमान खुर्शीद साहब सवाल उठा रहे है उसे गृहमंत्री पि. चिदंबरम ने इसी मुठभेड़ को असली करार दिया है. जरा सोचिये मुस्लिम वोट बटोरने के लिए अपने ही कार्यकाल में हुए एन्कोउन्टर को फर्जी कह ने वाले कांग्रेस सदस्य, येही एन्कोउन्टर भाजपा के समय हुवा होता तो बीजेपी को धर्मवादी कह कर खूब सियासत करते नजर आते.
सोनिया गाँधी अपने आसूवो पे स्पष्टीकरण देकर देश को बताती क्यों नहीं की, वो कब कब रोई और क्यों रोई? या सिर्फ वोट हासिल करने के सलमान खुर्शीद ने आसुवो का मजाक बनाया है?
जब कांग्रेस ने चुनावी मैदान में सोनियाजी के
आसूवो को उतरा तब बीजेपी के प्रवक्ता अब्बास नकवी साब ने कहा के कांग्रेस सिर्फ आतंकियों के मरने पर ही रोति है तभी तो आज तक कई आतंकवादियों को फांसी नहीं दी जा रही है?
cry cry इतना cry करते है kai को....... |
बीजेपी के आलावा समाजवादीने भी आसूवो के सिससत पर कांग्रेस पर तीखा वार किया.
खैर आम जनता का पूछना यह है की इतनी भावना जो फुट फुट के आसू निकलती है वो भावना मुंबई हमले में कहा थी? जब देश का नाम दुनिया भर में सिर्फ घोटालो और भ्रष्टाचार के कारन बदनाम हुआ तब ये आसू निकले थे? या सिर्फ यह घडियाली आसू है?
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